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Channel: युग दृष्टि
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क्या लिखुँ

क्या लिखूं ? जो गूढ़ हो .ज्ञान पर आरूढ़ हो .पुष्टि मांगती है मेधासिद्ध हो या मूढ़ हो .क्या लिखूं ? जो छंद होसद चित हो, आनंद होमन पे ऐसा हो असरज्यों जीभ पर मकरंद हो ,क्या लिखूं ? जो राग हो .विराग हो...

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स्वागत

ज्योतिहीन जीवन मग में कंटक कुल संकुल मग में भटक भटक पद छिन्न हुए मुझ से मेरे भिन्न हुए.चुन तो लीं कलियाँ सुकुमार गुंथा हिममय सौरभ सारअलियों कि गुन गुन गुंजार थी स्वागत गायन झंकार .स्वर्ण घटित उन...

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विश्व वैचित्र्य

कही अतुल जलभृत वरुणालयगर्जन करे महानकही एक जल कण भी दुर्लभभूमि बालू की खानउन्नत उपल समूह समावृतशैल श्रेणी एकत्रशिला सकल से शून्य धान्यमयविस्तृत भू अन्यत्रएक भाग को दिनकर किरणेरखती उज्जवल उग्रअपर भाग को...

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तत्व

तरल तरंगो सी क्षण क्षण नव केलि कामनाएं करती थिरक थिरक मेरे मानस में अतुलित आन्दोलन भरतीवीचि वृन्द के चंचल उर में उत्कंठा ने ले अवतार चित्र विचित्र खीच दिखलाया मणि मंडित आभरण अपारउनसे उदगत दीप्त दीप्ति...

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बधशाला -15

हिंसा से हिंसा बढती है , पीयो प्रेम रस का प्याला नफरत से नफरत को वश में , अरे कौन करने वाला "बापू"के हित अगर तुम्हारी , आँखों में कुछ आंसू है बंद करो लड़ाई,मत  खोलो , हिन्दू मुस्लिम बधशाला.मंदिर तोड़...

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बधशाला -16

श्री कृष्ण का सर्व प्रथम , जब था पूजन होने वाला क्रोधित हो यह देख, गालियाँ लगा सुनाने मतवाला अरे बोल वह कब तक सुनता , सुनली उसकी सौ गालीवही राजसूय यज्ञ बना , शिशुपाल दुष्ट की बधशालाहाथ कफ़न से बाहर कर...

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प्रार्थना

छिपी हुई वो तेज राशिआ ! अंतर आलोकित कर दे दुर्बलता के सघन तिमिर में ज्योतिर्मयी आभा भर देसंपुट दुविधा का खोल लूँ प्रज्ञा हो अंतर्मन के लोल में तामस -तमस को घोल दूँ हो सुधा शाद्वल इस खगोल में अपना भूला...

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विफल जीवन

ह्रदय कानन में अब फूल खिलते सुमन रंजित राग विचित्र से मधुर मोहक सौरभ संग से अति सुवास रहे नित ही यहाँ या नवीन अनुपम मोहिनी यद्दपि थी खिलती कुसुमावलीपर निरर्थक ही रह के सदा सकुच पुष्प गिरै सब भूमि पे...

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मंगई की छाती

बिन बरसा आषाढ़ आंसू हो गए गाढ़होठो में फटी बिवाई अब हंसने को तरस रहे.फुहारों की छुवन अब कहाँ अंगो में सिहरन अब कहाँ देखे मेढ़ो को टुकुर टुकुर नैना सुखने को तरस रहे.सन्नाटा है घर बार में अंखुआ सूख गए...

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बधशाला -17

मेरे शव को हाथ लगाये , जिसके कर में छाला मेरी अर्थी में, घायल जो , हो कन्धा देने वाला जिसके दिल में आग लगी हो , वही चिता मेरी फूंके कर्म करे तो बांध कफ़न सर , सीधे जाये बधशाला गर्म रक्त से ! मेरा तर्पण...

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बधशाला -18

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई, कोई भी हो मतवाला जात पात और छुआ छूत का , यहाँ नहीं परदा कालाइसी घाट से राजा उतरे , यही रंक के लिए खुला भेद भाव को भूल सभी को , एक बनाती बधशाला.तेरा इनका जिस्म एक सा , रंग रूप...

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बधशाला -19

अरे नीच जयचंद बना तू, भाई को खाने वालाआँख फोड़कर हाय कैद में , राय पिथौरा को डालाधन्य चंदबरदाई तुमको , धन्य तुम्हारे साहस कोखूब मुहम्मद गोरी की , गजनी में खोली बधशालाताड़ गया चालाकी वह भी , था आफत का...

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बधशाला -20

मेरे आगे ! क्या गायेगा , आये तो गाने वाला एक "भारती"कि वीणा है ,बाकी साज जला डाला बेगाना ! गाना समझेगा , मस्ती समझे मस्ताना मेरी लय में महाप्रलय है , जालिम समझे बधशाला .ख़बरदार जो मेरे ऊपर , अगर किसी ने...

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रंगून - ए फारबिडेन सिटी

स्वाभाव से मधु लोलुप और रस आखेटक होना, "चरन वे मधु विन्दति"अर्थात चलने वाला ही मधु पाता है वाले नारे को स्वीकार करने के लिए  आवश्यक है. मै अपने को उसी प्रजाति का पाता हूँ. पांवो में आभासी चक्र, और...

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नमोस्कार ! बंधू -बांधवी लोगो ने कहा आज अंतर राष्ट्रिय ब्लॉगिंग दिवस है l हमहूँ मान लिए l सालों से बंद पड़े ब्लॉग को टटोला , बिचारा मुँह बिचकाये , धूल धूसरित , दैन्य भाव से देख रहा था मुझे.l अरे हाँ इस...

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इह मृगया

सुनो तुम ईवा हो कभी सोने के रंग जैसी तो कभी फूलों की उमंग जैसी कभी कच्ची मखमली घास की छुवनयुग ,संवत्सर , स्वर्ग और भुवन तुम्हारा शरीर क्या हैदो नदियाँ मिलती है अलग होती हैतुम भाव की नदी बनकर धरती की...

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