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Channel: युग दृष्टि
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ब्लॉग्गिंग के दो साल -सम्हले या बेअसर हुए .

क्या जाने क्या हाल हुआ है, सम्हले या बेअसर हुये,सहमे सहमे आये यहाँ पर, जीवन जीने पसर गये।उपरोक्त  पंक्तियाँ  श्री प्रवीण पाण्डेय जी की   उदगार है जो उन्होंने मेरे ब्लॉग के एक वर्ष पूर्ण होने पर लिखे गए...

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भाव के पात्र

उछ्ल  कर उच्च कभी सोल्लास थिरक कर भर चांचल्य अपारधीर सी  कभी ध्यान में मग्न कुंठिता लज्जा सी साकार मृदुल गुंजन सी गाती गान बजाती कल कल  कर करतालनृत्य बल खा खा करती, देख !कभी भ्रू कुंचित कर कुछ भाल वीचि...

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ना कलंक बने

रवि रश्मि जनित गुरु ताप तपेदुर्गम पथ पर चल अब श्रांत हुआमुख म्लान शिशिर -हत-पंकज सा तब कंठ तृषातुर क्लांत हुआ.ज्योतिहीन  जीवन -जग में, कंटक -कुल -संकुल  मग में, भटक भटक पद छिन्न हुए, मुझ  से  मेरे...

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बधशाला

रातः ,संध्या, सूर्य ,चन्द्रमा, भूधर, सिन्धु ,नदी ,नालाजल, थल, नभ क्या है ? न जानता वर्षा, आंधी, हिम ज्वाला विश्व नियंता कभी न देखा , पर इतना कह सकता हूँ जिसने विश्व रचा है उसने ,प्रथम बनाई बधशालाकौन...

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वधशाला --2

राजनीति और धर्मनीति भी , भेद -निति में सबसे आलाकाल प्रबल के आगे सब कुछ , भूल गया वो मतवाला अतुलित बल योगेश अलौकिक , चक्र सुदर्शन धारी थे उसी कृष्ण की एक वधिक ने , वन में खोली बधशाला हुआ कलिंग विजय तब...

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बधशाला-3

आस्तीन में सांप छिपा तब , क्या करता करने वालाबिठा पालकी में धोखॆ से , उसे निहत्था कर डालारहा मांगता ! अंत समय तक , मिली नहीं तलवार उसेकांप उठी थी निर्दयता भी , लख "टीपू " की बधशालाकारतूस जब गाय सूअर की...

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बधशाला-4

सुनकर जिसका नाम ! फिरंगी पर पड़ जाता था पालाएक लालची ने धोखा से , उसको बंधन में डालाफांसी पर चढ़ गया ! अमर, हो गया तात्या मरदानापूर्णाहुति बन गई ग़दर की , वीर तुम्हारी बधशालागीता गीता कहे ! न कहता ,...

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बधशाला -5

ऊपर के  लिंक को क्लिक करके आप बधशाला का शस्वर पाठ  सुन सकते है.भीष्म पितामह सा व्रत धारी, था दिलेर वह दिलवाला डाली आज़ादी ने जिसके , गले में खूब विजयमाला पर -वाना बनकर दीवाना, हा ! अनंत की ओर उड़ाअरे...

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बधशाला -6

 बोल कौन था पथ भ्रष्टो को , सत पथ पर लाने वालामानवता के लिए प्रेम से ,पिया हलाहल का प्यालाहुआ सिकंदर और अरस्तु , अफलातूं  लुकमान  तो क्याअमर वीर सुकरात तुम्हारी , अमर रहेगी बधशालायहाँ न कोई हिंसा करना...

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बधशाला -7

तेरे कर्मो ही ने ! तुझको , इतनी आफत में डालामैंने माना रहा न कोई , तेरा हरदम दिल कालापेशानी पर शिकन न लाना , और न करना कोई गम दुनिया जिसको ठुकराती है, गले लगाती बधशालाराग रंग में सभी मस्त है , कभी ठेठ...

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बधशाला -8

देश धर्म को छोड़ ! खोलता , कोई पागल मधुशालाभूल गया अपने को यह क्या,जान सकेगा मतवालाहै कोई! देखेगा दिल , दिलवाला उन दिलवालों काशीश चढ़ाकर अरे जिन्होंने , अमर बनाई  बधशालाक्या ?जीवन भर लिए फिरेगा , दर दर...

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बधशाला -9

हिन्दू मुस्लिम वैमनस्य की , भड़क उठी सहसा ज्वाला उसे बुझाने की हित उसने , खून पसीना कर डालाआँक सके क्या फिर भी कीमत , मजहब के अंधे व्यापारी कानपुर बन गया विधाता !, गणेश शंकर की बधशालाजा प्रयाग में कुम्भ...

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बधशाला -10

यह कुटुंब, धन, धाम कहाँ है , अरे साथ जाने वालाजिसके पीछे तूने पागल , क्या अनर्थ न कर डालानित्य देखता है तू फिर भी , जान बूझकर फंसता है"जग जाने " पर ही यह जग है , सो जाने पर बधशाला.जितना ऊँचा उठना चाहे...

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बधशाला -11

किस का मुंह पकड़ा जाता है , जो चाहा सो कह डालादिल पर रख के हाथ जरा तो , सोचे कोई दिलवाला जिसे समझते जुल्म ! यही है. मूल मंत्र आजादी का रूह जिस्म में कैद , उसे , आजाद कराती बधशालाजीवन को आदर्श बनाये ,...

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बधशाला -12

इसको कहते है ! पत्थर दिल नहीं एक आंसू ढालाकर्मयोग में ऐसा ही , बन जाता कर्मठ मतवालामोरध्वज के अंतिम धर्म की , उपमा मिलनी महा कठिनमात- पिता निज सुत की खोले. हर्षित होकर बधशालाबोला सुत को बांध खंभ से ,...

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बधशाला -13

महापुरुष जो भी जब आया , जग को समझाने वाला निष्ठुर जग ने , उसे न जाने , किस किस विपदा में डालाअपनी अपनी कह कर कितने , चले जायेंगे ! चले गए बनी रहेगी पागल दुनिया , बनी रहेगी ! बधशाला.कपडे रंग डाले तो...

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सूरज की यात्रा

बधशाला के अलावा  बहुत दिनों से मेरे ब्लाग पर  और कुछ नहीं पोस्ट हुआ . परिवर्तन के तौर पर फेसबुक पर अपनी कोलकाता यात्रा के दौरान डाले गए इस अनुभव को ब्लॉग पर डालने के कई मित्रो के सुझाव के बाद हिम्मत...

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बधशाला -14

कान लगाकर ! क्या सुनता है ,बोतल की कुल कुल आला मधुबाला को लिए बगल में , क्या बैठा है मतवाला बेटे का कर्तव्य यही क्या , दुनिया मुंह पर थुकेगीमस्त पड़ा तू मधुशाला में , देख रही मां बधशाला.सोम सुधा को सुरा...

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आकुल अंतर के तीन वर्ष

फिर विश्वकर्मा पूजा के लिए निर्धारित दिन आ पहुंचा , कहने को तो श्री विश्वकर्मा को देवलोक का एकमात्र अभियंता का पद प्राप्त है लेकिन तीन साल पहले उनकी पूजा अर्चना के बाद ( व्यावसायिक कर्म में शामिल है )...

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क्यों

छल छल करती सरिता में क्यों छलका करुण प्रवाह? निर्झर क्यों झर झर बिखरातानयन नीर का वाह ?लतिका के नत आनन पर क्यों ? झलका अन्तर्दाह ?तरु क्यूँ पत्र -अधर -कम्पन से भरते नीरव आह ?सांध्य गगन की मलिनाकृति से...

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